चित्रगुप्त धाम का परिचयशहर में एक ऐसा पौराणिक क्षेत्र भी है जहाँ भगवान चित्रगुप्त विराजमान हैं। प्राचीन मान्यताओं और पुराणों में वर्णित आख्यानों से वर्णित इस क्षेत्र की छटा ही निराली है। अंकपात क्षेत्र के इसी पवित्र स्थल को चित्रगुप्त धाम कहा जाता है। प्रसिद्ध यमुना तलाई के पास प्रतिष्ठित इस धाम में भगवान ब्रह्मा, धर्मराज और श्री चित्रगुप्त की सुंदर मूर्तियों की स्थापना की गई है। करीब पाँच हजार वर्ष पूर्व की बात करें तो श्रीकृष्ण-बलराम तथा सुदामाजी भी अध्ययन हेतु यहाँ आए और महर्षि सांदिपनी से शिक्षा प्राप्त की। वही अर्जित ज्ञान आगे चलकर, ‘भगवद्गीता’ के रूप में प्रकट हुआ जो आज भी विश्व मे जनमानस को निष्काम कर्मयोग की प्ररेणा दे रहा है ।
इसी तपोभूमि में सृष्टि रचियता श्री ब्रह्माजी ने ग्यारह हजार वर्षों तक तपस्या की। ब्रह्मा के तप तेज से उत्पन्न श्री चित्रगुप्तजी ने भी इसी तपोभूमि पर दस हजार वर्षों तक तपस्या की और ज्ञान प्राप्त किया । यहीं उनके विवाह हुए और कायस्थजन का प्रगटीकरण हुआ। शास्त्रों के अनुसार इस भूमि पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश के चरण पड़े है। इसी यमुनातलाई के क्षेत्र में श्री चित्रगुप्त जी का अतिप्राचीन मंदिर है।
कायस्थ समाजजनों से यह अपेक्षा है कि व्यक्क्तिगत धरातल से ऊपर उठकर इस धाम का चिंतन करें और चित्रगुप्तधाम को शक्ति केन्द्र के रूप में विकसित करने में तन, मन और धन से अमूल्य सहयोग प्रदान करें । जय श्री चित्रगुप्त। |
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